आखिर क्या बात होती है इन लोगों में कि यहाँ के लोग किसी भी बात को यूं ही नहीं मान लेते. ये किस हद तक जा सकते हैं इसकी एक मिसाल देखिये. आज का बलिया (राजा बलि का क्षेत्र) कभी महर्षि भृगु का आश्रम था.उन्होंने देवताओं के राजा विष्णु की छाती पर लात मारी, जो आज भी अंकित है. कहते हैं कि चाँद पर जो दाग है वो उसी महर्षि के लातों की याद दिलाते हैं. हाउ अमज़िंग!! महर्षि देवराहा बाबा ने फिर उसी तरह श्रीमती इंदिरा गाँधी के सर पर पैर रखकर उनको आशीर्वाद दिया, बुद्धि का शुद्धीकरण किया.सत्य हरिश्चंद्र(बनारस)ने अपने सत्य के सिद्धांतों के लिए सब कुछ त्याग दिया.उनके पुत्र रोहिताश्व ने (रोहतास गढ़) का किला बनाया जो अब बिहार का रोहतास डिस्ट्रिक्ट है.साहित्य के सूर्य कान्त त्रिपाठी'निराला' हों या पंडित मदन मोहन मालवीय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ),एक बगावती तेवर जरूर रहा है उनके व्यक्तित्व में…..लाल लंगोटा,हाथ में सोटा, पान के खोंछा, कमर अंगोछा, भैया चकाचक,इहे बनारस ह.....(क्रमशः)
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